जबलपुर में विवेचना 15 वां राष्ट्रीय नाट्य समारोह छह नाटकों के मंचन के साथ ही कुछ समकालीन सवालों के साथ समाप्त हो गया। इस बार के नाट्य समारोह में मुंबई की अरण्य ने शक्कर के पांच दाने व इलहाम, नई दिल्ली की अस्मिता ने अनसुनी व आपरेशन थ्री स्टार और भोपाल के नट बुंदेले ने चारपाई और विवेचना ने सूपना का सपना नाटक की प्रस्तुति की। पिछले 15 वर्षों में विवेचना का प्रत्येक नाट्य समारोह किसी न किसी विशेषता के कारण पहचाना जाता रहा है। कभी संगीतमयी प्रस्तुति के कारण, तो कभी महिला संबंधी मुद्दों के कारण और कभी मुंबई के हास्य नाटकों के मंचन के कारण। इस बार के नाट्य समारोह में गंभीर, दुखद और समकालीन विषयों पर आधारित नाटकों के मंचन से इसे विचारोत्तेजक प्रस्तुतियों के कारण याद रखा जाएगा।
नाट्य समारोह के छह नाटकों को देखने दर्शक तो खूब आए, लेकिन कुछ प्रस्तुतियां ऐसी रहीं जो उन्हें प्रभावित नहीं कर पाईं। इसका सबसे बड़ा कारण नाटकों के दार्शनिक विषय थे। इनमें मुंबई की अरण्य रंग संस्था के शक्कर के पांच दाने और इलहाम जैसे नाटक थे। इन प्रस्तुतियों को देख कर महसूस हुआ कि दर्शकों को यदि रंगमंच से जोड़ना है, तो उनकी पसंद को भी ध्यान में रखा जाए। इस संदर्भ में अरण्य के निर्देशक मानव कौल का कहना था कि वे दर्शकों की चिंता नहीं करते हैं। यह भी सच्चाई है कि वे चिंता नहीं करेंगे तो उनकी प्रस्तुतियों से धीरे- धीरे दर्शक दूर होते जाएंगे। वैसे मानव कौल की दोनों प्रस्तुतियों शक्कर के पांच दाने और इलहाम में विषय का दोहराव भी दिखा। उनके विषय व दर्शन जटिल थे, इसलिए दर्शक उसे समझ नहीं पाए। इस संबंध में विवेचना के आयोजकों का कहना है कि वे रिपोर्ट के आधार पर रंग संस्थाओं को नाट्य प्रस्तुति के कारण आमंत्रित करते हैं। कुछ प्रस्तुतियां महानगरों के दर्शकों को प्रभावित करती हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं कि वे जबलपुर जैसे शहर के नाट्य प्रेमियों को भी पसंद आए।
नई दिल्ली की अस्मिता और उसके निर्देशक अरविंद गौड़ की जबलपुर के रंगमंच दर्शकों में प्रतिष्ठा है। इसी प्रतिष्ठा के कारण उन्हें यहां बार-बार आमंत्रित किया जाता है। विवेचना नाट्य समारोह में वे छठी बार आमंत्रित किए गए। उनके नाटक अपने समकालीन संदर्भ और बेहतर प्रस्तुतियों के कारण हर समय पसंद किए जाते हैं और उन्हें लंबे समय तक याद भी किया जाता है। इस बार के नाट्य समारोह में सामाजिक व राजनैतिक विषयों पर आधारित उनकी दोनों प्रस्तुतियों अनसुनी और आपरेशन थ्री स्टार ने दर्शकों को गहराई तक प्रभावित किया। नाटकों की समाप्ति के पश्चात् अरविंद गौड़ ने दर्शकों से सीधा संवाद कर प्रस्तुतियों के संदेश को सम्प्रेषित करने का प्रयास किया। इससे दर्शक काफी हद तक संतुष्ट भी हुए।
भोपाल के नट बुंदेले ने अलखनंदन के निर्देशन में चारपाई को प्रस्तुत किया। इस प्रस्तुति की भी दर्शकों में मिली-जुली प्रतिक्रिया रही। शक्कर के पांच दाने और इलहाम की दार्शनिकता के पश्चात् चारपाई में संयुक्त परिवार की संवादहीनता और आम भारतीय निम्नवर्गीय परिवार की समस्या ने दर्शकों को उद्वेलित तो किया, लेकिन मनोरंजन तत्व की कमी से वह व्यथित भी हुआ।
नाट्य समारोह की अंतिम नाट्य प्रस्तुति मेजबान विवेचना की सूपना का सपना रही। शाहिद अनवर लिखित इस नाटक को बसंत काशीकर ने निर्देशित किया। गंभीर विषय में मनोरंजन के तत्वों (लोक नाट्य) को शामिल कर उन्होंने दर्शकों को बांधने का पूरा प्रयास किया। यहां उन्हें ध्यान देना होगा कि उनकी सीमा जबलपुर नहीं है, बल्कि यहां से बाहर जब वे अपनी प्रस्तुति को ले कर बाहर जाएंगे, तब उसका विश्लेषण दर्शक अपने स्तर से करेंगे।