रविवार, 21 मार्च 2010

जबलपुर में कविता पोस्टरों की प्रदर्शनी, काव्य पाठ और कला व्याख्यान पर केन्द्रित दो दिवसीय 'दृश्य और श्रव्य' कार्यक्रम आयोजित


प्रगतिशील लेखक संघ, विवेचना, विवेचना रंगमंडल और सुर-पराग के तत्वावधान में पिछले दिनों (१३-१४ मार्च को) जबलपुर में दो दिवसीय 'दृश्य और श्रव्य' कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में पिछले दो दशक के हिंदी के श्रेष्ठ कवियों राजेश जोशी, वीरेन डंगवाल और राजकुमार केसवानी का काव्य पाठ, कविताओं की पोस्टर कला कृतियों की नुमाइश और विखयात विश्वविखयात चित्रकार एवं कथाकार अशोक भौमिक का व्याख्यान हुआ। दो दिवसीय दृश्य और श्रव्य कार्यक्रम का आयोजन इस मायने में महत्वपूर्ण रहा कि इसमें जबलपुर के साहित्यकारों, लेखकों, चित्रकारों, रंगकर्मियों के साथ आम लोगों खासतौर से महिलाओं की बड़ी संखया में सहभागिता रही। दो दिन तक जबलपुर के साहित्य और कला प्रेमियों ने अपनी शाम स्थानीय रानी दुर्गावती संग्रहालय की कला वीथिका में विचारोत्तेजक कविता पाठ सुनने के साथ कविताओं की पोस्टर कला कृतियां देखने में गुजारी। अशोक भौमिक द्वारा 'समकालीन भारतीय चित्रकला में जनवादी प्रवृत्तियां' विषय पर पावर पाइंट प्रस्तुतिकरण के साथ दिया गया व्याख्यान कला प्रेमियों के साथ-साथ कला से वास्ता न रखने वाले आम लोगों के लिए भी अविस्मरणीय अनुभव रहा। इस पूरे आयोजन पर एक आम व्यक्ति ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की-''महसूस हो रहा है कि जैसा सातवां दशक लौट आया हो।''
दो दिवसीय दृश्य और श्रव्य कार्यक्रम के अंतर्गत कविता पोस्टरों की प्रदर्शनी का उद्‌घाटन प्रखयात लेखक-चित्रकार अमृत लाल बेगड़ ने एक स्केच बना कर किया। उन्होंने कविता पोस्टरों की प्रदर्शनी को देख कर कहा कि कला व साहित्य को आम लोगों से जुड ना होगा। उन्होंने इस अवसर पर टिप्पणी की कि लग रहा है कि आज कुआं प्यासे के पास स्वयं चल कर आ गया। प्रदर्शनी के उद्‌घाटन के समय कवि राजेश जोशी और राजकुमार केसवानी ने भी युवा चित्रकार विनय अंबर सुप्रिया अंबर और अन्य नवोदित चित्रकारों के कविता पोस्टरों को सराहा। प्रदर्शनी में मंगलेश डबराल, राजेश जोशी, वीरेन डंगवाल और राजकुमार केसवानी की कविताओं पर आधारित पोस्टर प्रदर्शित किए गए।
कार्यक्रम के पहले दिन शाम को सुर-पराग के युवा गायकों ने राजेश जोशी, एकांत श्रीवास्तव और सुखचैन मिस्त्री की कविताओं की संगीतमयी प्रस्तुति दी। इसके पश्चात्‌ राजेश जोशी, वीरेन डंगवाल और राजकुमार केसवानी ने कला वीथिका में उपस्थित सैकड़ों लोगों के समक्ष काव्य पाठ किया। काव्य पाठ की शुरूआत वीरेन डंगवाल ने निराला को समर्पित 'उजले दिन' कविता पाठ से की। इसके पश्चात्‌ उन्होंने हड्डी-खोपडी खतरा निशान, हमारा समाज, दुष्चक्र में सृष्टा, हमारी नींद, कुछ नई कसमें, मानवीयकरण, क्या कीजिए, दिखाओ अपनी दो चोटियों वाली तस्वीर लोरी बेकर जैसी कविताओं को सुना कर लोगों को अभिभूत कर दिया। उनके बाद राजकुमार केसवानी ने शेर और चूहा कविता श्रृंखला की कविताओं से शुरूआत की। लोगों ने राजकुमार केसवानी की कौन है यह कुबलई खान को खूब पसंद किया। इसके राजकुमार केसवानी ने मैं कविता नहीं लिखता, मुन्ने भाई रांग साइट, मेरा खुदा, उस गली में, घर, छत्री वाले, डकार, मैं चांद ले लेता हूं और एक वादा कविताओं का पाठ भी किया। काव्य पाठ का समापन राजेश जोशी ने अपनी कुछ चुनिंदा कविताओं से किया। उनकी मैं झुकता हूं, हमारे समय के बच्चे, उसकी गृहस्थी, पीठ की खुजली, बेटी की विदाई, यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, मकान मालिक परेशान है, मैं उड जाऊंगा, मारे जाएंगे और इत्यादि शीर्षक से पढ़ी गई कविताओं से सभागार में बैठे लोग इतने प्रभावित हुए कि लोगों ने कार्यक्रम के दूसरे दिन पुनः राजेश जोशी के काव्य पाठ आयोजि करने का अनुरोध किया, लेकिन पूर्व निर्धारित व्याखयान कार्यक्रम के कारण राजेश जोशी का काव्य पाठ न हो सका। तीनों कवियों द्वारा प्रस्तुत की गई समकालीन श्रेष्ठ आधुनिक कविताओं ने लोगों को भीतर तक झकझोर दिया।राजेश जोशी, वीरेन डंगवाल और राजकुमार केशवानी ने भी कविता पाठ के पश्चात माना कि जबलपुर में कविता सुनने को जितने लोग आए हैं, उतनी भीड़ पिछले दस वर्षों में उन्होंने काव्य पाठ के दौरान नहीं देखी।
कार्यक्रम के समापन दिवस पर अशोक भौमिक ने समकालीन भारतीय चित्रकला में जनवादी प्रवृत्तियां विषय पर व्याख्यान दिया। अशोक भौमि भारतीय चित्रकला में एक जाना-पहचाना नाम है। अशोक भौमिक लोकधर्मी चित्रकार के रूप में भाऊ समर्थ के बाद का (उस परपंरा में) सबसे समर्थ और सार्थक नाम है। उन्होंने अपने व्याख्यान में भारत के चार जनवादी चित्रकारों चित्तप्रसाद, जेनुल आबेदीन, सोमनाथ होर और कमरूल हसन पर विशेष रूप से टिप्पणी की। अशोक भौमिक द्वारा बड़े स्क्रीन पर पावर पाइंट पर दी गई प्रस्तुति जबलपुर के चित्रकारों के लिए एक नया अनुभव रही। उनके व्याख्यान की एक विशेषता यह भी रही कि चित्रकला से अनभिज्ञ लोगों ने भी खूब मजा लेते हुए समय-समय पर भारतीय चित्रकला में हुए बदलाव को समझा। अशोक भौमिक प्रगतिशील कविताओं पर आधारित पोस्टरों के लिए कार्य शिविरों का आयोजन पिछले दो दशकों से करते आ रहे हैं और आज भी इस उद्देश्य के लिए समर्पित हैं। इसी समर्पण भावना से उन्होंने जबलपुर में नवोदित चित्रकारों और कला विद्यार्थियों को एक दिन की वर्कशाप में महत्वपूर्ण बातें बताईं। दो दिवसीय दृश्य-श्रव्य कार्यक्रम में प्रसिद्ध कथाकार व पहल के संपादक ज्ञानरंजन, कवि मलय, प्रो. हनुमान प्रसाद वर्मा, चित्रकार सुरेश श्रीवास्तव, हरि श्रीवास्तव, कामता सागर, छायाकार रजनीकांत यादव रंगकर्मी अरूण पाण्डेय सहित अनेक साहित्यकार, चित्रकार, रंगकर्मी उपस्थित रहे।




7 टिप्‍पणियां:

Jandunia ने कहा…

जबलपुर साहित्यकारों, चित्रकारों और रंगकर्मियों का गढ़ है। ये अलग बात है कि वक्त बदलने के साथ-साथ इस तरह की गतिविधियां कम होती जा रही हैं। लेकिन यदि इस तरह के प्रयास होते रहे तो ये हमारे कला और संस्कृति के लिए अच्छा संकेत है।

समय चक्र ने कहा…

आदरणीय पंकज जी,
सादर अभिवादन
कार्यक्रम की सचित्र बढ़िया जानकारी प्रस्तुत करने के लिए आभार .
महेंद्र मिश्र, जबलपुर.

Yunus Khan ने कहा…

अपने जबलपुर वाले दिन खूब याद आए । बढिया आयोजन के लिए बधाई ।

Ashok Kumar pandey ने कहा…

निशांत ने इस कार्यक्रम के बारे में बताया था…बधाई

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

भाई पंकज जी
नमस्कार
जबलपुर में कविता पोस्टरों की प्रदर्शनी,काव्य पाठ और कला व्याख्यान पर केन्द्रित दो दिवसीय" दृश्य और श्रव्य" कार्यक्रम का मैं भी प्रत्यक्ष दर्शी हूँ. वाकई यह सत्य है कि एक बड़े अंतराल के पश्चात मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के सौजन्य से जबलपुर एवं जबलपुर के पड़ोसी शहरों के लोगों को स्तरीय,कलात्मक,साहित्यिक तथा रुचिकर कार्यक्रम में शामिल होकर कुछ ख़ास देखने और सुनने का अवसर प्राप्त हुआ.
कविता पोस्टर प्रदर्शिनी,काव्य पाठ और अशोक भौमिक द्वारा समकालीन भारतीय चित्रकला में जनवादी प्रवृत्तियां विषय पर पावरपाइंट प्रस्तुतिकरण के साथ दिया गया व्याख्यान अविस्मरणीय रहा. राजेश जोशी,वीरेन डंगवाल और राजकुमार केसवानी का काव्य पाठ काफ़ी अरसे तक याद किया जाएगा प्रसिद्ध आर्टिस्ट श्री सुरेश श्रीवास्तव एवं
श्री दिनेश अवस्थी जी की अभिव्यक्तियाँ भी श्रोताओं की स्मृतियों में रहेंगी. आदरणीय ज्ञान जी की वरद हस्तता और पंकज जी, राजेंद्र जी, अरुण यादव,की सक्रियता कार्यक्रम के दोरान दिखाई दे रही थी.
आर्टिस्ट विनय अंबर द्वारा हस्त लिखित [कवियों की] कविताएँ एवं कविताओं के भावों को स्पष्ट करते सटीक चित्र कबीले तारीफ रहे, हमारी उन्हें विशेष रूप से उनके असाधारण कार्य के लिए बधाई. विवेचना, विवेचना रंगमंडल और सुर-पराग के सभी सदस्यों के मिले जुले कार्यक्रम ने सभी को भाव विभोर किया मेरा सभी को आभार... सुर-पराग के युवा गायकों द्वारा राजेश जोशी, एकांत श्रीवास्तव और सुखचैन मिस्त्री की कविताओं की संगीतमयी प्रस्तुति से कार्यक्रम को नया स्वरूप मिला इस दिन के कार्यक्रम में मुझे बस एक बात खली कि कई दिनों की मेहनत और लगन से तैयार किए गये संगीत बद्ध गीतों / कविताओं को लोगों ने गंभीरता से नहीं सुना. मंचासीन अतिथि भी अपने वार्तालाप में मगन दिखाई दिए. शेष अद्वितीय रहा.
- विजय तिवारी "किसलय "

MEDIA GURU ने कहा…

bahut sundar sir
itni sanstha aur prtibhvan logo ke nam khaskar jabalpur k. pahli bar janne ka mauka mila.
sachitra prstuti ke liye hardik badhai.

MEDIA GURU ने कहा…

bahut sundar sir
itni sanstha aur prtibhvan logo ke nam khaskar jabalpur k. pahli bar janne ka mauka mila.
sachitra prstuti ke liye hardik badhai.

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