मंगलवार, 2 जनवरी 2024

🔴जबलपुर की 93 साल पुरानी भट्टी में बने रम केक के क्यों हैं दीवाने लोग

केक अब वैश्विक हो गया। खुशी का कोई भी मौका आता है लोग केक काटने लगते हैं। केक की बात आती है तो कुछ लोग अंडे के कारण नाक सिकोड़ लेते हैं लेकिन ऐसे लोगों के लिए बिना अंडे का केक बना कर सारी समस्या का समाधान कर दिया गया। 

इस समय क्रिसमस और नया साल का मनाने के लिए रोज पार्टियां हो रही है और नए प्लान बनाए जा रहे हैं। 

केक और वह भी रम (वाइन) केक की बात हो..और जबलपुर का ज़िक्र ना हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। केक जबलपुर की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बन गया है।क्रिसमस और न्यू ईयर सेलिब्रेशन के लिए जबलपुर के रम केक की मांग इतनी है कि एक महीने पहले से ऑर्डर लिए जाने लगते हैं। ब्रिटिश काल शुरू हुए इस केक की मांग अब प्रदेश से बाहर देश-विदेश तक से आ रही है। आयताकार आकार में तैयार होने वाला यह केक आज भी 93 साल पहले बनी भट्टी में सिंकता है। इसकी खास बात यह है कि यह तीन महीने तक खराब नहीं होता। केक लंबे समय खाया जा सके इसलिए इसमें क्रीम नहीं मिलाई जाती और न ही किसी केमिकल का उपयोग किया जाता है। 

गोवा के रहने वाले होरी विक्टर और उनकी पत्नी कैरोलीना जबलपुर में रम केक बनाया करते थे। इनके बनाए केक के ब्रिटिश अफसर दीवाने थे। गोवा से जब ये ब्रिटिश अफसर जबलपुर आए, तो उन्हें अपने जीवन में रम केक की कमी खलने लगी। ब्रिटिश अफसरों ने होरी विक्टर को जबलपुर बुलवा लिया। 1930 में विक्टर पत्नी कैरोलिना के साथ जबलपुर आ गए। यहां उन्होंने सिविल लाइन में डिलाइट टॉकीज के पास एक छोटी सी बेकरी में वाइन केक बनाना शुरु कर दी। अंग्रेजों के साथ भारतीयों ने धीरे-धीरे वाइन केक खाना शुरु कर दी। 

1947 में देश की आजादी के साथ ही विक्टर ने जबलपुर में बेकरी का व्यवसाय शुरू किया। बेकरी में केक बना कर वे बाज़ार में बेचने लगे। उस समय एक पाउंड केक की कीमत दो रूपए रखी गई। 76 साल में आधा किलो केक की कीमत अब 350 रूपए हो गई। 

रम केक की शुरुआत करने वाले होरी विक्टर का 1995 में देहांत हो गया। उसके बाद उनके परिवार ने बेकरी की जिम्मेदारी संभाल ली। होरी विक्टर की एक पहचान यह भी थी कि वे फुटबाल के उत्कृष्ट खिलाड़ी थे। जबलपुर के मद्रास इलेवन से उन्होंने लंबे समय तक फुटबाल खेली। बाद में होरी विक्टर मद्रास इलेवन के कर्ताधर्ता रहे। वे फुटबाल के नेशनल रेफरी भी थे। 

होरी विक्टर के पुत्र रिलेश डेविड विक्टर बेकरी संभालते हैं। क्रिसमस और फिर  नए साल 1 जनवरी को दो दिन रम केक की खूब मांग रहती है। महीने भर पहले ही हजारों ऑर्डर आ जाते हैं। इसे पूरा करने के लिए विक्टर परिवार 20-20 घंटे तक पारम्परिक भट्टी में जुटा रहता है। केक में अच्छी क्वालिटी की रम मिलाई जाती है। रम केक बनाने की तैयारी एक दिन पहले से की जाती है। एक निश्चित मात्रा में रम मिलाने के बाद फ्रूट्स को अच्छे से फेंटा जाता है। इसके बाद बटर, अंडा, गरम-मसाला, मैदा और अन्य सामान मिलाया जाता है। तैयार केक के मिश्रण को गरम भट्टी में करीब एक से तीन घंटे तक के लिए सेंका जाता है। इस दौरान केक बेक करने वाले की निगाह पूरे समय भट्टी पर इसलिए जमी रहती है कि कहीं केक कच्ची न रह जाए या ज्यादा न सिक जाए। 

केक बनाते वक्त उतनी ही रम का उपयोग किया जाता है, जिसमें कि बस थोड़ा सा स्वाद आए। बेकरी की भट्टी में एक बार में 90 किलो केक तैयार किया जा सकता है। 

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को भी यह वाइन केक बहुत पसंद था।

केक के शौकीन स्वाद अनुसार भी अपनी केक बनवा सकते हैं। यहां सिर्फ रम केक ही नहीं बनता बल्कि होरी विक्टर की बेकरी में सभी का ध्यान रखा जाता है। बेकरी में वलनट, पाइनेप्पल, प्लेन केक भी बनते हैं। यदि आप चाहते हैं तो पूरा समान दे कर अपनी आंखों के सामने केक बनवा सकते हैं। आप के सामने भट्टी में केक बना कर पेश कर दिया जाएगा।🔷 (फोटो: होरी व कैरोलिन विक्टर, 93 साल पुरानी भट्टी के साथ रिलेश डेविड विक्टर और वाइन केक) 


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