कलकत्ता के ड्रेनेज सिस्टम में जबलपुर के बने पाइपों का उपयोग-बर्न एन्ड कंपनी की जबलपुर फैक्टरी वर्ष
1892 में स्थापित हुईं। इसके बाद बंगाल में रानीगंज में फैक्टरी बनी। इन दोनों
फैक्टरियों में टाइल्स, फायर ब्रिक्स (ईंट), स्टोन वेयर, पाइप्स और रिफ्रेक्टरीज बनती थीं।
जबलपुर के बाद कटनी के निवार में भी बर्न स्टेंडर्ड कंपनी की फैक्टरी स्थापित
हुईं। कलकत्ता के पूरे ड्रेनेज सिस्टम में बर्न स्टेंडर्ड फैक्टरी जबलपुर के बने पाइपों
का उपयोग किया गया था। बर्न एन्ड कंपनी ने रेलवे के लिए यात्रा व माल वेगन का
निर्माण भी किया।
जेसू के रूप में गुणवत्ता व विश्वसनीय बिजली सप्लाई-वर्ष 1946 में 'बर्न एंड कंपनी लिमिटेड' का 'मार्टिन एंड कंपनी' के साथ विलय हो गया और यह 'मार्टिन, बर्न एंड कंपनी' बन गई। मार्टिन बर्न कंपनी की जबलपुर इलेक्ट्रिक सप्लाई अंडरटेकिंग (जेसू) ने जबलपुर में बिजली सप्लाई का काम शुरू किया। सातवें दशक के मध्य तक जेसू की बिजली सप्लाई की गुणवत्ता व विश्वसनीयता ऐसी थी कि जिसे आज भी लोग याद करते हैं। जबलपुर में गोकुलदास धर्मशाला के पीछे की बिल्डिंग जेसू ईस्ट और मिशन कम्पाउंड का भवन जेसू वेस्ट के नाम से मशहूर रहा। आज भी कुछ लोग दोनों बिजली दफ्तरों को जेसू नाम से ही पुकारते हैं। लोग दोनों बिजली दफ्तरों को जेसू नाम से ही पुकारते हैं।
दुर्गा पूजा, नाट्य मंचन व फुटबाल-बर्न स्टेंडर्ड का जबलपुर से गहरा संबंध रहा। वर्ष 1956 में मध्यप्रदेश के पुनर्गठन के समय जबलपुर में किसी अति विशिष्ट व्यक्ति की अगवानी में बर्न स्टेंडर्ड कंपनी के जनरल मैनेजर को शामिल किया जाता था। पांचवे दशक में बर्न कंपनी के जनरल मैनेजर मिस्टर मरवाहा जबलपुर में खूब लोकप्रिय रहे। बर्न स्टेंडर्ड की स्थापना के साथ नौकरी के लिए बंगला परिवार जबलपुर आए। इन्हीं परिवारों से जबलपुर में दुर्गा पूजा और नाट्य मंचन की परम्परा शुरू हुई। छठे से नौवे दशक तक यहां आयोजित होने वाली ऑल इंडिया फुटबाल टूर्नामेंट में कलकत्ता की बर्न स्टेंडर्ड फैक्टरी की टीम और उसके खिलाड़ी अपने उत्कृष्ट खेल के कारण लोकप्रिय रहे।
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