केन्या
के हॉकी इतिहास में हजारों मील दूर स्थित जबलपुर को हर समय याद किया जाता है। केन्या
के हॉकी जगत में वर्ष 1964 की 26 अप्रैल की तारीख अक्षुण्ण है। वर्ष 1964 में केन्या
हॉकी टीम के कप्तान अवतार सिंह सोहल के दिल में जबलपुर धड़कता है। केन्या का हॉकी
जगत उन्हें ‘तारी’ के नाम से जानता है। 84 वर्षीय अवतार सिंह
सोहल अभी भी जबलपुर में खेले गए मैच को भूल नहीं पाते। 26 अप्रैल 1964 को जबलपुर
के पुलिस मैदान में भारत व केन्या के मध्य हुए आठ मैचों की शृंखला का पांचवा मैच
खेला गया था। उस समय केन्या हॉकी टीम अवतार सिंह सोहल की कप्तानी में भारत के दौरे
पर थी। जबलपुर में खेला गया मैच इसलिए महत्वपूर्ण माना गया क्योंकि इस मैच में केन्या
ने भारत की टीम को 3-0 गोल से पराजित कर दिया था। उस समय भारत की 184
अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैचों में यह सबसे बड़ी पराजय थी। हालांकि कुछ दिनों के बाद
भारत ने टोक्यो ओलंपिक में हॉकी का स्वर्ण पदक जीत लिया था। इसी प्रकार रोम ओलंपिक
में पाकिस्तान के स्वर्ण पदक जीतने से पूर्व केन्या ने नैरोबी में पाकिस्तान को
3-1 गोल से पराजित किया था।
साठ
के दशक में केन्या की हॉकी टीम को विश्व की उत्कृष्ट टीम का दर्जा हासिल था। 84 वर्षीय अवतार सिंह सोहल का कहना है कि जब तक वे जिंदा रहेंगे उनको जबलपुर
याद रहेगा। अवतार सिंह सोहल का कहना है कि केन्या 1964 के ओलंपिक के सेमीफाइनल के
लिए क्वालीफाई करने से केवल एक अंक पीछे था और 1968 में भी उसने अच्छा प्रदर्शन
किया था, लेकिन उस युग की शीर्ष एशियाई टीमों के साथ यादगार
मैच सोहल के लिए सुखद यादों के रूप में सामने आती हैं। "1964 में, हमने जबलपुर में भारत के खिलाफ खेला और हमने पहले हाफ में तीन गोल किए थे।‘’ केन्या की ओर से यह गोल एडगर फर्नाडीस व एगबर्ट फर्नाडीस ने किए थे। एडगर
ने एक और एगबर्ट ने दो गोल दागे थे। लेफ्ट बैक की पोजीशन में खेलने वाले अवतार
सिंह सोहल ‘तारी’ को याद है कि केन्या ने उस समय भारतीय दौरे में
बंबई, हैदराबाद, मद्रास, नागपुर, जबलपुर, कलकत्ता,
लखनऊ व दिल्ली में आठ मैच खेले थे। इस शृंखला में पहला मैच ड्रा,
दूसरा मैच केन्या, तीसरा मैच भारत, चौथा मैच भारत, पांचवा मैच केन्या, छठा मैच भारत, सातवां मैच भारत और आठवां मैच भारत ने
जीता था। इस प्रकार यह शृंखला भारत ने केन्या को 5-2 से पराजित कर जीती थी। तारी
जबलपुर के हॉकी प्रेमियों को बहुत शिद्दत से याद करते हैं। यहां के दर्शकों ने
भारतीय टीम की पराजय के बावजूद केन्या को उसके उत्कृष्ट खेल के लिए दाद दी थी।
अवतार
सिंह सोहल ने अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ व अविस्मरणीय मैच भारत के खिलाफ वर्ष 1971
में प्रथम विश्व कप में खेला था। इस मैच में केन्या ने एक गोल कर बढ़त ले ली थी।
भारत ने कुछ ही मिनट बाद बराबरी कर ली और अतिरिक्त समय में गोल होने के बाद केन्या
यह मैच हार गया था।
अवतार
सिंह सोहल ने 1960 से 1972 तक चार ओलंपिक में केन्या का प्रतिनिधित्व किया। वे
1964,
1968 व 1972 में टीम के कप्तान रहे। उन्होंने प्रथम विश्व कप में भी
अपने देश का नेतृत्व किया। वे 167 अंतरराष्ट्रीय मैचों में अपने देश के लिए खेले।
यह गिनीज़ बुक ऑफ रिकार्डस में दर्ज है। खिलाड़ी से रिटायर होने के बाद 1977-78
में सोहल राष्ट्रीय टीम के कोच बने। 1980 में वे इंटरनेशनल अम्पायर बने। 1988
सियोल ओलंपिक में जज रहे। वर्ष 2000 में हॉकी में उनकी सेवाओं के लिए इंटरनेशनल
हॉकी फेडरेशन ने डिप्लोमा ऑफ मेरिट से सम्मानित किया।
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