जबलपुर के प्रमुख समाचार पत्र अंधविश्वास की घटनाओं को बढ़ावा देने में सबसे आगे रहते हैं। अंधविश्वास की घटनाएं, जिस प्रकार समाचार पत्रों में प्रस्तुत होती हैं, उससे लगता है कि ऐसी घटनाओं पर वे प्रहार नहीं कर रहे हैं, बल्कि उसे अतिरंजित कर उभार रहे हैं। 16 मार्च को जबलपुर के तीन प्रमुख समाचार पत्रों में जिस प्रकार तथाकथित देव बप्पा बाबा द्वारा रोगियों के सिर पर पत्थर रखकर इलाज करने की खबर को प्रस्तुत किया गया, वह सिर्फ अंधविश्वास को ही बढ़ावा देती है। इसी खबर में बाबा के इलाज कार्यक्रम में जबलपुर निवासी विधानसभा अध्यक्ष, एक मंत्री और कलेक्टर की सपरिवार मौजूदगी की बात भी अचरज पैदा करती है। कलेक्टर की पत्नी सरकारी डाक्टर हैं और वे श्रद्धापूर्वक बाबा को पत्थर से इलाज करते देख रही थीं। एक समाचार पत्र में तो यह भी छपा कि विधानसभा अध्यक्ष ने बकायदा बाबा से अपना इलाज कराया। जिस क्षेत्र में बाबा इलाज कर रहे थे, उस क्षेत्र का पुलिस थाना पूरी तरह खाली था, क्योंकि सभी पुलिस वाले बाबा से इलाज करवाने गए थे। समाचार पत्रों में इस प्रकार की प्रस्तुतिकरण आम जन मानस में अंधविश्वास की गहरी पैठ और तर्कहीन बातों का भरोसा जमाती है। भला जब विधानसभा अध्यक्ष, मंत्री और कलेक्टर साहब वहां बैठे हैं, तो आम लोगों को तो भरोसा होगा ही ! क्या प्रशासन अभी तक भर्रा की बात भूला नहीं है ?
जबलपुर के निकट 6 सितंबर 2007 को भर्रा गांव में इसी प्रकार एक तथाकथित बाबा के झाड़-फूंक कार्यक्रम में भगदड़ से 61 लोग गंभीर रुप से घायल हुए थे और 13 लोग मर गए थे। तब भी ऐसे आयोजन में प्रशासन के सहयोग की बात सामने आई थी। चौंकाने वाली बात यह है कि जनाक्रोश के चलते बाबा के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया, लेकिन बाबा को पुलिस थाने में वीआईपी ट्रीटमेंट दिया गया।
मुझे याद है कि कुछ वर्ष जबलपुर के सर्वाधिक प्रसार संख्या वाले एक समाचार पत्र ने एक छोटी लड़की द्वारा भविष्यवाणी करने के समाचार प्रकाशित करने का सिलसिला शुरु किया था। समाचार पत्र में समाचार छापने से उस लड़की के परिवार के लोग खूब खुश थे। इसे वे भगवान का आशीर्वाद मानते थे। परिवार में उस लड़की को दूसरे बच्चों से अलग ट्रीटमेंट मिलने लगा। इससे परिवार में विसंगति भी आई। अब यही लड़की बड़ी हो गई है। इसके पिता अब समाचार पत्रों में जा कर उसकी भविष्यकर्त्ता की मार्केटिंग करने लगे हैं, लेकिन अब पहला जैसा रिस्पांस नहीं है, क्योंकि लड़की बड़ी हो गई है। इसमें अचरज वाली बात कुछ भी नहीं है। अखबार लीक से हटकर समाचार छापने में विश्वास रखते हैं। अब वह सामान्य लोगों की तरह भविष्यवाणी कर रही है, तो इसमें नया क्या है। शायद इस बात को लड़की का पिता समझ नहीं पा रहा है।
इसी तरह जबलपुर के समाचार पत्रों में पहले लौकी या कद्दू में भगवान की छवि उभरने के समाचार प्रमुखता से प्रकाशित होते थे और ऐसे समाचार नि:संदेह अंधविश्वास की भावना को ही पुख्ता करते थे। वर्तमान में सभी अखबारों में धर्म खासतौर से तथाकथित बाबाओं की समाचार प्रकाशित करने की होड़ लगी हुई है। पूरा का पूरा पृष्ठ धर्म और बाबाओं पर समर्पित है। समाचार पत्र जबलपुर के विकास की बात तो करते हैं, लेकिन विकास की खबरें कहां हैं ?
1 टिप्पणी:
"आजकल रजत शर्मा जी वाला इंडिया टी०वी० तो भूत-प्रेत आदि आदि की खबरों को प्रमुखता से चला रहा है. बेचारे करें भी क्या बेचारे सोचते हैं-"विषय चुक गए इनके ?"
मेरे ख्याल से इन बेचारों की सोच चुक गयी है... चलिए इनकी इस बात का रोना भी रो लेते हैं.... हम सभी रुदाले जो ठहरे.....!!"
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