सोमवार, 7 अप्रैल 2008

मौत का कुआं न बने स्वीमिंग पूल


जबलपुर में बिजली बोर्ड के इंजीनियर अभिषेक जैन और उनकी पत्नी श्रीमती रीना जैन को 2 अप्रैल 2007 का दिन भुलाए नहीं भूलता है। इस दिन उनके लाड़ले आशय की मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मण्डल के स्वीमिंग पूल में डूबने से मृत्यु हो गई थी। इस वर्ष 2 अप्रैल को आशय की स्मृति में अभिषेक और रीना जैन ने स्थानीय समाचार पत्रों में एक जनहित में विज्ञापन जारी किया। इस विज्ञापन का उद्देश्य उन अभिभावकों को सतर्क करना है, जिनके बच्चे स्वीमिंग पूल में तैरने जाते हैं। जैन दंपति ने विज्ञापन में अभिभावकों को आगाह किया कि वे बच्चों को स्वीमिंग पूल में जाने से पूर्व स्पोटर्स अथॉरिटी आफ इंडिया से प्रशिक्षित तैराकी कोच, प्रशिक्षित मेडिकल अटैण्डेंट एवं प्राथमिक चिकित्सा सुविधा, सुरक्षा व्यवस्थाएं जैसे लाइफबॉय, लाइफ जैकेट, श्वसन उपकरण, आक्सीजन सिलेंडर, जीवन रक्षक निर्देश चार्ट तथा उपयुक्त संचार एवं प्रकाश व्यवस्था जैसी तथ्यों की पुष्टि आवश्यक रुप से कर लें।
जैन दंपति कहती है कि सुरक्षा के अभाव में सुविधाएं भी जानलेवा बन जाती हैं। दिल्ली पुलिस हर वर्ष स्वीमिंग पूलों में अपनाई जाने वाली सुरक्षा को ले कर पोस्टर अभियान चलाती है। दिल्ली पुलिस की तर्ज पर जबलपुर में भी इंजीनियर अभिषेक जैन और उनके मित्र पोस्टर अभियान चला रहे हैं। स्वीमिंग पूलों और स्कूलों में लगाए गए पोस्टरों में स्वीमिंग पूल में अपनाई जाने वाली सुरक्षा की जानकारी दी गई है।
अभिषेक-रीना जैन कहते हैं- "आशय का विछोह हमारे लिए आजीवन त्रासदी है। गत एक वर्ष से हमने पुलिस, प्रशासन एवं जन प्रतिनिधियों से स्वीमिंग पूल में सुरक्षा मानकों को लागू करने की गुहार की है। हम न तो किसी के खिलाफ बदले की कार्रवाई चाहते हैं, न कोई मुआवजा। जो हमने खोया है, उसकी कोई क्षतिपूर्ति संभव नहीं है। हम चाहते हैं कि ऐसी त्रासदी किसी और माता-पिता को न भोगनी पड़े। हमारा सभी से अनुरोध है कि स्वीमिंग पूल बच्चों के लिए मौत का कुआं न बने, यह सुनिश्चित करने का प्रयास करें।"
जैन दंपति के जन-जागरण के पश्चात् भी जबलपुर के स्वीमिंग पूलों में सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए और न ही निर्धारित मानक के अनुसार व्यवस्था की गई। स्वीमिंग पूलों में प्रशिक्षित तैराकी कोच, लाइफ जैकेट, रिसरेक्टर पम्प, आक्सीजन सिलेंडर, लाइफबॉय आदि का अभाव है। कोई यह तक देखने वाला नहीं है कि पानी में खतरनाक क्लोरिन की मात्रा कितनी है। सब कुछ भगवान भरोसे चल रहा है।
पानी में क्लोरिन खतरनाक- स्वीमिंग पूल के पानी में क्लोरिन अधिक होने पर आंखों में जलन, फेफड़ों में सूजन, विशेष परिस्थितियों में श्वसन तंत्र में रुकावट और अर्द्धमूर्छा की स्थिति बनती है। महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने वर्ष 2006 में मुंबई के 32 स्वीमिंग पूल के सेंपल लिए थे। उनमें से 27 में क्लोरिन की मात्रा निर्धारित मापदंड से ज्यादा पाई गई। कुछ प्रकरणों में यह मात्रा 8 से 10 गुना तक ज्यादा पाई गई। चौंकाने वाली बात यह है कि ब्यूरो आफ इंडियन स्टैंडर्ड ने स्वीमिंग पूल के पानी के मानक स्तर के लिए 1993 में आईएस-3328 कोड जारी किया। 90 प्रतिशत से अधिक स्वीमिंग पूल संचालकों को इस कोड की जानकारी नहीं है। इसी तरह बहुत से लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि स्वीमिंग पूल में कम से कम प्रति व्यक्ति 20 वर्ग फुट पूल एरिया होना चाहिए। स्वीमिंग पूल में लाइटिंग, टेलीफोन, हॉस्पिटल और एम्बुलेंस के फोन नंबर होना चाहिए।
लायसेंस की अनिवार्यता जरुरी- मध्यप्रदेश में अभी तक स्वीमिंग पूल चलाने के लिए लायसेंस की अनिवार्यता लागू नहीं की गई है। दिल्ली पुलिस ने वर्ष 2004 से स्वीमिंग पूल संचालकों के लिए लायसेंस अनिवार्य कर दिया है। लायसेंस के लिए महानगर पालिका को स्पोटर्स अथॉरिटी के द्वारा प्रमाणित तैराकी प्रशिक्षक, पानी की गुणवत्ता रिपोर्ट एवं सुरक्षा उपकरणों की उपलब्धता का प्रमाण पत्र देना पड़ता है। लायसेंस अनिवार्य होने के बाद दुर्घटना में काफी कमी आई है। इसी तरह जयपुर में भी स्वीमिंग पूल में के लिए लायसेंस जरुरी किया गया है। स्वीमिंग पूल निर्माण के लिए मॉडल बिल्डिंग कोड में मानक निर्धारित किए गए हैं। इसके बावजूद अधिकांश नगर निगम एवं राज्य सरकार इसकी अनदेखी कर रही हैं।

3 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

मध्यप्रदेश में भी अन्य राज्यों की तरह स्वीमिंग पूल चलाने के लिए लायसेंस की अनिवार्यता लागू की जाना चाहिए . मैं आपके विचारो से सहमत हूँ . आभारी हूँ

Udan Tashtari ने कहा…

बिल्कुल सही कह रहे हैं, इसे एक जन अभियान की तरह लिया जाना चाहिये प्रशासनिक स्तर पर.

samagam rangmandal ने कहा…

सुरक्षा मापदंडो से अपूर्ण पूल में पैर भी न रखें।प्रशासन स्तर पर लायसेंस देनें के बाद भी नियमित जाँच की जाए,व्यक्तिगत रुप से जागरुक होना आवश्यक हैं।ध्यानाकर्षण हेंतु धन्यवाद!

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