कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण जब एक खेल में भारत के लिए प्रतिनिधित्व करना मुश्किल हो, तब दो खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करना विशिष्ट उपलब्धि ही कही जाएगी। इस उपलब्धि को जबलपुर की डा. अविनाश कौर सिद्धू ने हासिल किया है। उन्होंने वर्ष 1967 से वर्ष 1975 तक भारतीय महिला हॉकी टीम और वर्ष 1970 में भारतीय वालीबाल टीम का प्रतिनिधित्व किया है। डा. सिद्धू का बहुआयामी व्यक्तित्व है। वे पिछले तीन दशकों से हॉकी से जुडी हुई हैं। डा. सिद्धू 30 वर्षों से विभिन्न संस्थाओं, विश्वविद्यालयों और प्रदेश की टीमों को हॉकी का प्रशिक्षण दे रही हैं। डा. सिद्धू ने जर्मन कॉलेज आफ फिजिकल कल्चर से स्पोट्र्स साइकोलॉजी में मास्टर आफ स्पोर्ट की डिग्री प्राप्त की और इसी संस्थान से उन्होंने स्पोट्र्स साइकोलॉजी में डॉक्टरेट भी की है। उन्होंने सन् 1972 से वर्ष 2001 तक ग्वालियर के लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट आफ फिजिकल इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी में अध्यापन कार्य किया है। डा. सिद्धू ने वर्ष 2001 में प्रोफेसर पद से वालियंटरी रिटायरमेंट ले लिया।
डा. सिद्धू ने वर्ष 2001 से वर्ष 2005 तक बांग्लादेश इंस्टीट्यूट आफ स्पोर्ट, ढाका में स्पोट्र्स साइकोलॉजिस्ट के रूप में कार्य किया है। उन्होंने दस खेलों हॉकी, बॉस्केटबाल, बाक्ंिसग, फुटबाल, जिम्नास्टिक, शूटिंग, स्विमिंग, टेनिस और टै्रक एंड फील्ड में बांग्लादेश की राष्ट्रीय टीमों को सहायता प्रदान की। मेनचेस्टर कॉमनवेल्थ गेम्स 2004 में बांग्लादेश के स्वर्ण पदक जीतने वाले शूटर मोहम्मद आसिफ को डा. अविनाश सिद्धू ने मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार किया था। वर्ष 2004 के इस्लमाबाद सैफ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाले मोहम्मद आसिफ और शर्मीन को भी डा. सिद्धू की मनोवैज्ञानिक सहायता मिली थी।
डा. सिद्धू वर्ष 1968 में आयोजित प्रथम एशियल महिला हॉकी चैम्पियनशिप में भारतीय टीम की कप्तान रही हैं। भारतीय टीम ने इस प्रतियोगिता में तीसरा स्थान प्राप्त किया था। इसी प्रतियोगिता के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें 'ऑल स्टार एशियन इलेवन' में चुना गया। इसके पश्चात् डा. अविनाश सिद्धू ने श्रीलंका, आस्ट्रेलिया, जापान, हांगकांग, यूगांडा, सिंगापुर, न्यूजीलैंड, स्पेन, स्कॉटलैंड के विरूद्ध खेली गई टेस्ट सीरिज में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया और इन देशों के विरूद्ध टेस्ट सीरिज में विजय दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डा. सिद्धू ने ऑकलैंड (न्यूजीलैंड), बिलबाओ (स्पेन) और एडिनबर्ग (स्कॉटलैंड) में आयोजित इंटरनेशनल फेडरेशन वूमेन हॉकी एसोसिएशन के टूर्नामेंट, जो कि विश्व कप के समकक्ष माना जाता है, में भी भारतीय महिला हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व किया।
डा. सिद्धू ने वर्ष 1962 से वर्ष 1974 तक महाकौशल महिला हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने वर्ष 1963, 1965 और 1966 में अंतर विश्वविद्यालयीन महिला हॉकी प्रतियोगिता में जबलपुर विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 1965 में जबलपुर विश्वविद्यालय की टीम उपविजेता रही। इस टीम का नेतृत्व भी अविनाश सिद्धू ने ही किया था। डा. सिद्धू ने वर्ष 1968 में पंजाबी यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व भी किया।
डा. अविनाश सिद्धू ने सक्रिय हॉकी से निवृत्त होने के पश्चात् कई अंतरराष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिताओं में अंपायरिंग भी की है। जिसमें 10 वें एशियन गेम्स सियोल, द्वितीय इंदिरा गांधी इंटरनेशनल विमेन हॉकी टूर्नामेंट नई दिल्ली, एशियन जूनियर विमेन हाकी वर्ल्ड कप क्वालीफाइंग टूर्नामेंट, तृतीय इंटरनेशनल कप फार विमेन हॉकी, 11 वें एशियन गेम्स बीजिंग (फाइनल मैच में आफिशियल), चतुर्थ इंदिरा गांधी इंटरनेशनल विमेन हॉकी टूर्नामेंट जैसी प्रमुख प्रतियोगिताएं हैं। डा. सिद्धू 1994 हिरोशिमा गेम्स में भी अंपायर के रूप में चुनी गईं थीं।
महिला हॉकी में डा. अविनाश सिद्धू ने भारतीय महिला हॉकी टीम की मैनेजर के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं। वे 1983 से 1985 तक भारतीय टीम की सिलेक्टर रहीं हैं। उन्होंने भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए स्पोट्र्स साइकोलॉजिस्ट के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं। उनकी पहचान एक श्रेष्ठ कोच के रूप में भी है।
सन् 1970 में डा. अविनाश सिद्धू ने भारतीय महिला वालीबाल टीम का नेतृत्व भी किया। इसके अलावा राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कई बार उन्होंने मध्यप्रदेश की टीम का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने एथलेटिक्स (ट्रैक एंड फील्ड) के अंतर्गत 20 वें नेशनल गेम्स में 4X100 रिले और 800 मीटर दौड़ में भाग लिया और रिले में कांस्य पदक जीता। 1963-64 में उन्हें जबलपुर विश्वविद्यालय का सर्वश्रेष्ठ एथलीट घोषित किया गया। 1964 में नेशनल बास्केटबाल चैम्पियनशिप में मध्यप्रदेश की टीम का प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 1963 एवं 1965 में डा. सिद्धू ने इंटर यूनिवर्सिटी बास्केटबाल टूर्नामेंट में जबलपुर विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व किया। दोनों प्रतियोगिताओं में वे टीम की कप्तान भी रहीं। वर्ष 1975 में हॉकी में उत्कृष्ट और उल्लेखनीय प्रदर्शन के लिए डा. सिद्धू को मध्यप्रदेश शासन ने विक्रम अवार्ड से सम्मानित किया।
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