मित्रों,
आप लोगों की निरंतर आती हुई शुभकामनाओं, अपूर्व उत्साह और सहकारी बनने
की अभिव्यक्तियों ने हमें हैरानी की हद तक ख़ुश और तैयार किया है. कई बार
यह होता है कि जहां हम नहीं हैं वहां भी हमारी सोच और कर्म की छाया पहंच
चुकी होती है.
‘पहल’ के प्रसंग में भी यही हुआ. हम पहली बार इस माध्यम का उपयोग कर रहे
हैं. जिन्हें उम्मीद थी या प्रतीक्षा में थे, हमारे पुराने और बिल्कुल नये
साथी, वे अपनी प्रतिक्रियाओं से ‘पहल’ के भविष्य का एक स्पष्ट संकेत तो दे
ही रहे हैं. वस्तुत: प्रेरणाएं सो नहीं गई थीं, हमीं निद्रा में चले गए
थे. हमे जगाने के लिए धन्यवाद.
मित्रों, जब हम आपसे प्रत्यक्षत: मुखातिब नहीं हों तब भी, यकीन जानिये,
हम दिन-रात प्रारंभिक तैयारियों में लगे हैं. क्रमश: उदबोधन की भाषा की
ज़रूरत कमतर होगी और हम ठोस सूचनाओं और कामकाजी अभियान की तरफ बढ़ेंगे.
आपसे आग्रह है कि बधाई की जगह अब हमें अपने आवासीय पत्ते, टेलीफोन नम्बर
जैसी जानकारियां, हमारे ईमेल – gyanranjanpahal@gmail.com और rkpahal2@gmail.com पर हमें भेज दें.
आप ‘पहल’ की बिक्री, प्रसार, उसकी रचनात्मकता और उसके आर्थिक उपायों के
बारे में जो भी बता सकें, हमे अवश्य बतायें. अपने भौगोलिक क्षेत्रों में,
‘पहल’ की प्रतियां किस संख्या में और कैसे पहुंचायेंगे, यह ख़बर दें. आपकी
निजी सदस्यता तो ज़रूरी है ही. पहल की एक प्रति का मूल्य 50 रुपये और
सालाना 200 रुपये होगा.
इस बाज़ार मूल्य से ऊपर हम ‘पहल’ को कीमती बनाने के लिये प्रतिबद्ध हैं.
हमारा प्रयास होगा कि आपके साथ मिलकर हम अपने समय की नाड़ी, तापमान और
मुहावरे की तरफ बढ़ते हुए ज़रूरी भाषा की खोज कर सकें.
शेष अगली बार.आपके
ज्ञानरंजन
राजकुमार केसवानी
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