पीएल संतोषी की हिन्दी सिनेमा में प्रविष्टि संयोग से हुई। जबलपुर में एक फिल्मी की शूटिंग हो रही थी। यूनिट को डॉयलाग अस्सिटेंट की जरूरत थी। ब्यौहार निवास पैलेस (बखरी) में रहने वाले संतोषी एक कुशल लेखक थे इसलिए फिल्म के दृश्य के लिए अतिरिक्त संवादों को लिखने का काम उनको मिल गया। मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद पीएल संतोषी लगभग 18 वर्ष की आयु में तीस के दशक के मध्य में लेखक व गीतकार बनने की तमन्ना ले कर बंबई रवाना हो गए। बाद में उनकी पहचान हिन्दी सिनेमा इंडस्ट्री में निर्माता, निर्देशक, लेखक व गीतकार के रूप में बनी और वे प्रसिद्ध हुए।
वर्ष 1937 में पीएल संतोषी को जद्दनबाई की फिल्म मोती का हार फिल्म में कुछ गीत को लिखने का मौका मिला। वे कुछ फिल्मों में छोटी सी भूमिका में दिखे। पीएल संतोषी ने कुछ समय जद्दनबाई के सेक्रेटरी का काम भी किया। इस दौरान संतोषी ने जीवन सपना फिल्म के चार गीत लिखे। काम के सिलसिले में वे बंबई के स्टूडियो में भटकते रहे। प्रभात स्टूडियो में उनको ठहराव मिला और 1946 में पहली फिल्म ‘हम एक हैं’ का निर्देशन किया। इस फिल्म से ही हिन्दी सिनेमा के दो बड़े कलाकार देवआनंद व रहमान का पदार्पण हुआ। गौरतलब है कि रहमान जबलपुर में जब राबर्टसन कॉलेज में अध्ययनरत थे तब उनकी मित्रता पीएल संतोषी से हुई थी। रहमान भी ब्यौहार निवास पैलेस में रहते थे। एक तरह से रहमान पीएल संतोषी के फेवरेट बन गए। ‘हम एक हैं’ फिल्म में संतोषी के सह निर्देशक गुरूदत्त थे। 1950 में संतोषी ने राज कपूर को ‘सरगम’ फिल्म में निर्देशित किया। संतोषी की निर्देशित कुछ खास फिल्में हैं- शहनाई, खिड़की, शिन शिनाकी बूबला बू, छम छमा छम, हम पंछी एक डाल के, बरसात की रात, दिल ही तो है। उन्होंने 21 फिल्मों का निर्देशन, 16 फिल्मों का लेखन, 100 फिल्मों में 350 गीतों को लिखा व 6 फिल्मों के गीत के साउंड ट्रेक पर काम किया और 1948 में खिड़की व 1950 में अपनी छाया फिल्मों का निर्माण किया। संतोषी व सी. रामचंद्र की जोड़ी मधुर गीतों के लिए खूब लोकप्रिय हुई।
पीएल संतोषी का बम्बई सिने संसार में अत्यधिक सम्मान था। जिस तरह शांताराम बापू, रामचन्द्र चितलकर अन्ना साहब कहलाते थे,उसी तरह प्यारेलाल संतोषी को गुरुजी कहा जाता था। गुरुजी बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न थे। उनका लिखा गीत 'महफ़िल में जल उठी शमा परवाने के लिए / प्रीत बनी है दुनिया में जल जाने के लिए' बहुत लोकप्रिय हुआ। 'निराला' फ़िल्म के इस गीत को लता मंगेशकर ने गाया था और संगीत दिया था सी. रामचंद्र ने।
वर्ष 2019 में पहली मुख्यधारा की संस्कृत फिल्म ‘अहं ब्रह्मास्मि’ पीएल संतोषी को समर्पित की गई। राजकुमार संतोषी ने अपनी पहली फिल्म ‘घातक’ व ‘लज्जा’ अपने पिता पीएल संतोषी की याद में ही बनाई है।🟦
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